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एक मां की आवाज

कित जा सै मेरे साला आले कुतड़े, पंजा पै नचा दूगीं,
जै मेरे छोरे कै हाथ ला दिया तो पाड़ के बगा दूंगी।।

तन्नै के बेरा नहीं यो एक मां का बच्चा सै,
मां के आगे तो हर आदमी होज्या सच्चा सै,
जै इसके किते खुरच भी आगी तो तेरे आग लगा दूंगी
जै मेरे छोरे कै हाथ ला दिया तो पाड़ के बगा दूंगी।।

या दुनिया तो तमाशा देखण की हौव सै,
सबनै बेरा सै आखर मां तो मां हौव सै,
मरण नहीं दूंगी बेटे तन्नै सब जगां अलख जगां दूंगी
जै मेरे छोरे कै हाथ ला दिया तो पाड़ के बगा दूंगी।।

जी नै जी मारै सै लोगों यो किसा कलयुग आग्या सैं,
ममता, दया, रहम नै यो जी काल बणकै खाग्या सै,
मर जांगी बेटे की खातिर पर इसनै मजा चखा दूंगी
जै मेरे छोरे कै हाथ ला दिया तो पाड़ के बगा दूंगी।।

संदीप कंवल भुरटाने आला या ए अर्ज लगावै सै,
हर मां आज भी अपणे बेटा-बेटी नै चाहवै सै
ना मारो तो ताम बेटी नै, मैं उसने जीणा सीखा दूंगी
जै मेरे छोरे कै हाथ ला दिया तो पाड़ के बगा दूंगी।।


                                                        संदीप कंवल भुरटाना

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