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मरजानी तेरे के

मरजानी तेरे के हो गया के पी गी बिना छानी
न करी दावा तनॆ मेरे दर्द की ना मेरी नब्ज पिछानी!
कुन सा झूठा बहम आज तू पाल के बैठी सै
कयु दंगल के माह अपन्ना पीढा घाल के बैठी सै !
अपने भीतर का बहम थोडा सा तू बाहर कर लिए
घणा नही थोडा सा तो मेरे पै भी तू ऐतबार कर लिए !
सिरढाण आले '''प्रेम '''का कुछ तू भी ख्याल करले
सारे गिल्ले शिकवयाँ का छाबडा इब तार कै धर ले !
प्रेम ''' गिजरोईया '''सिरढाण आला

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